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पौराणिक

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उज्जैन का जंतर मंतर: एक ऐतिहासिक धरोहर

उज्जैन, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक स्मारकों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का “जंतर मंतर” भी एक अद्वितीय स्थल है, जिसे “महाराज जयसिंह द्वितीय” ने 1725 में बनवाया था। यह “खगोलशास्त्र” के अध्ययन के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थल है और भारतीय विज्ञान की समृद्धि […]

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घटकर्पर: राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में अद्वितीय विद्वान

राजा विक्रमादित्य की सभा के नौ रत्नों का भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक विशेष स्थान है। इन नौ रत्नों में से एक थे घटकर्पर, जिनकी विद्वत्ता, न्यायप्रियता और नीति कौशल ने विक्रमादित्य के शासन को अद्वितीय ऊंचाइयों तक पहुंचाया। घटकर्पर का परिचय घटकर्पर अपने गहन ज्ञान और विवेक के लिए प्रसिद्ध थे। वे न

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अमर सिंह: राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में अद्वितीय योद्धा और विद्वान

उज्जैन की पवित्र भूमि भारतीय इतिहास और संस्कृति की गौरवशाली धरोहर है। इसी भूमि पर राजा विक्रमादित्य ने अपने साम्राज्य को न्याय, ज्ञान और वीरता से सुसज्जित किया। उनकी प्रसिद्ध सभा में नौ रत्नों का विशेष स्थान था, और उनमें से एक थे अमर सिंह। अमर सिंह का परिचय अमर सिंह केवल एक महान योद्धा

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राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक – वेताल भट्ट

उज्जैन, भारतीय इतिहास और संस्कृति का ऐसा केंद्र है, जिसने अनगिनत विद्वानों, संतों और महापुरुषों को जन्म दिया। इन्हीं में से एक थे **वेताल भट्ट**, जो राजा विक्रमादित्य के प्रसिद्ध नवरत्नों में शामिल थे। वेताल भट्ट: विद्वता और चतुराई का प्रतीक वेताल भट्ट अपनी विलक्षण बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति और काव्य प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थे। वे

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सम्राट विक्रमादित्य के नव रत्नों में से एक: शंकु

“शंकु” सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के प्रतिष्ठित और विद्वान नव रत्नों में से एक थे। वे अपने समय के अद्वितीय गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और वास्तुकला विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध थे। उनका नाम इतिहास में इस बात के लिए दर्ज है कि उन्होंने न केवल गणित और वास्तुकला में अद्वितीय योगदान दिया, बल्कि अपने अद्भुत विचारों

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क्षपणक – उज्जैन की अमूल्य धरोहर

क्षपणक, उज्जैन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर, प्राचीन भारतीय साहित्य और समाज का एक अद्वितीय प्रतीक हैं। वे महान विद्वान, साधक और विचारक माने जाते हैं, जिनका नाम भारतीय इतिहास में उनके ज्ञान, तपस्या और त्याग के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। क्षपणक का उल्लेख कालिदास के अमर ग्रंथ *“राजशेखरचरित”* और अन्य पुराणों में

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वररुचि: राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों का अद्वितीय रत्न

वररुचि, जिन्हें भारतीय साहित्य, व्याकरण, और ज्योतिष के क्षेत्र में अमर स्थान प्राप्त है, राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। उनकी विद्वत्ता और योगदान ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया और आने वाली पीढ़ियों को एक सशक्त बौद्धिक विरासत प्रदान की। वररुचि का जीवन और व्यक्तित्व वररुचि का जन्म एक उच्च

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वराहमिहिर: भारतीय खगोलशास्त्र और ज्योतिष के अद्वितीय विद्वान!

🌟 उज्जैन की शान | विक्रमादित्य के नौ रत्न 🌟 वराहमिहिर, राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक, भारतीय खगोलशास्त्र और ज्योतिष के महान ज्ञाता थे। उनका योगदान न केवल उस युग में अद्वितीय था, बल्कि आज भी विज्ञान और ज्योतिष के क्षेत्र में उनकी कृतियों का महत्व है। विशेष योगदान: 1️⃣ पंचसिद्धांतिका का

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धन्वंतरि: आयुर्वेद के जनक और चिकित्सा के देवता!

उज्जैन की शान | विक्रमादित्य के नौ रत्न धन्वंतरि का योगदान धन्वंतरि को भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। वे राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे और अपने समय के महानतम चिकित्सक थे। उनके ज्ञान और शोध ने न केवल शारीरिक रोगों के उपचार का मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि

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भर्तृहरि: उज्जैन की तपस्या और ज्ञान की प्रेरणा

उज्जैन की धरती केवल ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र नहीं है, बल्कि यह तपस्या, ज्ञान और आध्यात्मिकता की अमूल्य निधि भी है। ऐसा ही एक नाम है **भर्तृहरि**, जो अपने वैराग्य, काव्य, और गहन चिंतन के लिए जाने जाते हैं। भर्तृहरि कौन थे? भर्तृहरि उज्जैन के महान शासक और राजा विक्रमादित्य के अग्रज

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