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धार्मिक आयोजन

धार्मिक आयोजन

पंजाबी व हिंदी गायिका व अभिनेत्री सुश्री सुनंदा शर्मा श्री महाकालेश्वर भगवान की भस्मार्ती में सम्मिलित हुई।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि पंजाबी और हिंदी गीत गायिका व अभिनेत्री सुनंदा शर्मा भस्मारती में परिवार समेत शामिल हुईं। उन्होंने नंदी हॉल से बाबा महाकाल के निराकार से साकार स्वरूप के दर्शन किए और चांदी द्वार से जलाभिषेक भी किया। भस्मारती के दौरान वे बाबा महाकाल की भक्ति […]

धार्मिक आयोजन

शीतला सप्तमी का पावन पर्व: पारंपरिक भोग और आस्था

🙏 जय शीतला माता 🙏 उज्जैन के सभी शीतला माता मंदिर में शीतला सप्तमी के शुभ अवसर पर महिलाएं पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार माता रानी की पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन माता को विशेष रूप से शीतल भोजन का भोग अर्पित किया जाता है, जो इस पर्व की खास परंपरा है। 🌿 पारंपरिक भोग एवं

धार्मिक आयोजन

विक्रम संवत: भारत की प्राचीन और गौरवशाली कालगणना प्रणाली

भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर में विक्रम संवत का विशेष स्थान है। यह न केवल एक पंचांग आधारित कालगणना पद्धति है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और ज्योतिष विज्ञान से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। विक्रम संवत की स्थापना महान सम्राट विक्रमादित्य ने की थी, जिनका नाम ही इस संवत का आधार बना। यह

धार्मिक आयोजन, सिंहस्थ हलचल

सिंहस्थ 2028 – आस्था, परंपरा और अध्यात्म का महासंगम

उज्जयिनी की पावन धरा पर एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा का महासंगम होने जा रहा है! हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला सिंहस्थ न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति और अध्यात्म का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति, संत समागम और सनातन परंपराओं का भव्य आयोजन है,

धार्मिक आयोजन, संस्कृति और धरोहर

कालिदास समारोह: उज्जैन की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत

कालिदास और उज्जैन का ऐतिहासिक संबंध: उज्जैन सिर्फ ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी ही नहीं, बल्कि यह संस्कृत साहित्य और महान कवि महाकवि कालिदास की कर्मभूमि भी रही है। कालिदास, जिन्हें संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ कवि और नाटककार माना जाता है, ने “मेघदूत,” “अभिज्ञानशाकुंतलम्,” “कुमारसंभव,” “रघुवंश,” जैसी अद्भुत रचनाएँ दीं, जो आज भी साहित्य प्रेमियों के

धार्मिक आयोजन

क्षैत्र वार होली की गैर – उज्जैन की अनूठी परंपरा

उज्जैन की होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और भक्ति का उत्सव है। यहाँ फाल्गुन मास में होली के दिन और उसके पश्चात क्षेत्रवार गैर निकाली जाती हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों, शंखनाद और गुलाल के साथ शामिल होते हैं। क्या है होली की गैर? उज्जैन में “गैर” का अर्थ जुलूस या

ऐतिहासिक, धार्मिक आयोजन

कंडों की होली – सिंहपुरी होलिका दहन, उज्जैन

उज्जैन, महाकाल की पावन नगरी, जहाँ हर परंपरा अपने आप में एक आध्यात्मिक रहस्य समेटे हुए है। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा है “कंडों की होली”, जिसे विशेष रूप से सिंहपुरी क्षेत्र में मनाया जाता है। इस ऐतिहासिक परंपरा का संरक्षण और निर्वाह ब्राह्मण परिवारों द्वारा किया जा रहा है, जो इसे पीढ़ी दर पीढ़ी

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