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क्षैत्र वार होली की गैर – उज्जैन की अनूठी परंपरा

उज्जैन की होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और भक्ति का उत्सव है। यहाँ फाल्गुन मास में होली के दिन और उसके पश्चात क्षेत्रवार गैर निकाली जाती हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों, शंखनाद और गुलाल के साथ शामिल होते हैं।

क्या है होली की गैर?

उज्जैन में “गैर” का अर्थ जुलूस या शोभायात्रा होता है। यहाँ होली के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों (मुहल्लों) से होली की गैर निकलती हैं, जिनमें लोग पारंपरिक वेशभूषा, बैंड-बाजे और भजन-कीर्तन के साथ झूमते हुए शामिल होते हैं।

🎭 हर क्षेत्र की अलग-अलग गैर – उज्जैन में प्रमुख क्षेत्रों से गैर निकलती हैं। हर गैर में अलग-अलग परंपराएँ होती हैं, जिनमें श्री महाकालेश्वर मंदिर की गैर सबसे प्रमुख मानी जाती है।

🥁भक्ति और उल्लास का संगम – ये गैर केवल रंग और उमंग का त्योहार नहीं, बल्कि धर्म और परंपरा से भी जुड़ी होती हैं। होली की गैर में श्रद्धालु “हर हर महादेव” और “जय महाकाल” के जयघोष करते हुए महाकालेश्वर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

🎨गुलाल और रंगों की वर्षा – गैर के दौरान चारों ओर गुलाल उड़ाया जाता है, जिससे पूरा माहौल भक्ति और आनंद से सराबोर हो जाता है।

🔥 महाकाल मंदिर की विशेष गैर –
🔸 ध्वज और डमरुओं के साथ भक्तगण गैर में शामिल होते हैं।
🔸 बाबाओं और साधु-संतों की उपस्थिति इसे और विशेष बनाती है।
🔸 महाकाल मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्रोच्चार और पूजा-पाठ का आयोजन होता है।

🚩 गैर निकलने का प्रमुख स्थान और मार्ग:

✅ श्री महाकालेश्वर मंदिर से निकलने वाली गैर – महाकाल मंदिर से शुरू होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होकर पुनः महाकाल मंदिर तक जाती है।

✅ क्षेत्रवार गैर – सिंहपुरी, भागसीपुरा, अब्दालपुरा आदि क्षेत्रों से भी गैर निकलती हैं।

उज्जैनवासियों और श्रद्धालुओं से अनुरोध

🌸 इस भव्य और ऐतिहासिक होली की गैर का हिस्सा बनें, रंगों, भक्ति और परंपरा के इस उत्सव को महाकाल की नगरी में मिलकर मनाएँ।

🌟 “होली की गैर – रंग, भक्ति और महाकाल की कृपा का संगम!” 🌟

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