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चिंतामण गणेश मंदिर: उज्जैन की ऐतिहासिक धरोहर

उज्जैन, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, में स्थित चिंतामण गणेश मंदिर न केवल एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी अत्यधिक है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, और यहां उनकी पूजा से सभी दुखों का निवारण होता है।

⏳ इतिहास: चिंतामण गणेश मंदिर की स्थापना 11वीं-12वीं शताब्दी में परमार शासकों द्वारा की गई थी। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर भगवान गणेश की तीन प्रमुख प्रतिमाओं को समर्पित है: चिंतामण, इच्छामन और सिद्धिविनायक। इन प्रतिमाओं की पूजा से श्रद्धालु अपनी चिंताओं से मुक्ति पाते हैं, उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सिद्धि की प्राप्ति होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अवंतिका खंड के महाकाल वन में प्रवेश करते समय यहां चिंतामण गणेश की पूजा की थी। यहां एक बावड़ी भी है जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहा जाता है, जो करीब 80 फुट गहरी है।

🌺 धार्मिक महत्व: चिंतामण गणेश मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां भगवान गणेश की तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं:

• चिंतामण गणेश: जो चिंता से मुक्ति देते हैं।
• इच्छामन गणेश: जो भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
• सिद्धिविनायक गणेश: जो जीवन में सिद्धि और सफलता प्रदान करते हैं।

मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालु मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं, और हर प्रकार की विघ्न बाधाओं से मुक्ति पाते हैं।

📍 स्थान: चिंतामण गणेश मंदिर, ग्राम जवास्या, उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत

आइए, हम सब मिलकर इस पवित्र मंदिर के महत्व को समझें और अपनी आस्था से इसे सहेजने का प्रयास करें।

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