उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी के नाम से जाना जाता है, में काल भैरव का विशेष महत्व है। यह प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और संस्कृति का अद्वितीय प्रतीक भी है। काल भैरव भगवान शिव के उग्र और रक्षक रूप हैं, जिन्हें समय (काल) के स्वामी और नकारात्मक शक्तियों के विनाशक के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर का इतिहास और महत्व:
• काल भैरव मंदिर उज्जैन के सबसे प्राचीन और प्रमुख मंदिरों में से एक है।
• मंदिर की स्थापना का उल्लेख स्कंद पुराण और अवंतिका क्षेत्र में मिलता है। यह मंदिर 6000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन माना जाता है।
• काल भैरव को उज्जैन का रक्षक देवता माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त उनकी शरण में आता है, वह भय, संकट और रोगों से मुक्त हो जाता है।
काल भैरव की विशेष पूजा:
• काल भैरव की पूजा में मुख्य रूप से मदिरा (शराब) का उपयोग होता है। भक्तगण उन्हें मदिरा अर्पित करते हैं, जो उनकी कृपा पाने का अनूठा तरीका है।
• यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
मंदिर की वास्तुकला:
• यह मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
• मंदिर में भगवान काल भैरव की भव्य मूर्ति स्थापित है, जो अपनी शक्ति और आभा से भक्तों को सम्मोहित कर देती है।
काल भैरव से जुड़ी पौराणिक कथा:
एक बार ब्रह्माजी ने अपनी सृष्टि का वर्णन करते हुए भगवान शिव का अपमान कर दिया। इससे भगवान शिव क्रोधित हुए और उनके तेज से काल भैरव प्रकट हुए। काल भैरव ने ब्रह्माजी के अहंकार को समाप्त किया और उन्हें उनके स्थान का बोध कराया। तभी से काल भैरव को न्याय और धर्म का संरक्षक माना जाता है।
भक्तों के लिए विशेष संदेश:
• काल भैरव की पूजा से भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
• जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास से उनकी पूजा करता है, उसे सुख, शांति और सुरक्षा प्राप्त होती है।