उज्जैन का त्रिवेणी संगम एक अत्यधिक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ तीन प्रमुख नदियाँ – शिप्रा, गंडकी और सरस्वती मिलती हैं। यह संगम न केवल उज्जैन, बल्कि पूरे भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ का जल स्नान और पूजा विशेष रूप से शुभ और फलदायी मानी जाती है।
🔹 त्रिवेणी संगम का महत्व:
त्रिवेणी संगम वह स्थल है जहाँ शिप्रा, गंडकी, और सरस्वती नदियाँ एक साथ मिलती हैं। यहाँ स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। इन नदियों का संगम धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे तीर्थराज कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी दुख और संकट समाप्त हो जाते हैं।
🔹 नदियाँ और उनका महत्व:
1. शिप्रा नदी:
शिप्रा नदी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यह नदी उज्जैन के प्रमुख जल स्रोतों में से एक है और इसे माँ गंगा के समान पुण्यकारी माना जाता है। शिप्रा के जल में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है, और यह नदी कुम्भ मेला जैसी बड़ी धार्मिक सभाओं का मुख्य स्थल भी है।
2. गंडकी नदी:
गंडकी नदी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक गहरा है। गंडकी नदी में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सभी दुखों का निवारण होता है और पापों से मुक्ति मिलती है। इसे मंगलकारी नदी भी कहा जाता है। इसके पानी में स्नान करने से समृद्धि, सुख, और शांति प्राप्त होती है। वर्तमान में यह विलुप्त है|
3. सरस्वती नदी:
सरस्वती नदी का स्थान भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह नदी प्राचीन काल में एक बड़ी और पवित्र नदी मानी जाती थी। हिन्दू धर्म में सरस्वती देवी को ज्ञान, कला, और संगीत की देवी माना जाता है, और उनकी नदी को भी पवित्र और विशेष माना गया है। वर्तमान में यह विलुप्त है, लेकिन इसके अस्तित्व और महत्व को लेकर धार्मिक मान्यताएँ जीवित हैं।
कुम्भ मेला और माघ पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों पर यहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं
🕊️ आप भी इस पवित्र त्रिवेणी संगम स्थल पर आएं और शिप्रा, गंडकी और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करके जीवन को पुण्य और शांति से भरें।
🌸 त्रिवेणी संगम – शांति, शक्ति और पुण्य का अद्भुत संगम स्थल।