उज्जैन की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में से एक प्रमुख स्थल है नगरकोट माता मंदिर, जिन्हें शहर की संरक्षिका देवी माना जाता है। गोर्धन सागर के पास स्थित है नगर कोट माता का मंदिर। स्कंद पुराण के अवंतिका क्षेत्र महात्म्य में इसका उल्लेख मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार, 24 देवियों में से एक है नगर कोट माता का मंदिर। मंदिर में माता की मूर्ति भव्य और मनोहारी है।
🔍 मंदिर का इतिहास:
नगरकोट माता मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि उज्जैन की सुरक्षा के लिए नगरकोट माता ने इस स्थान पर वास किया।
🙏 मंदिर में है परमारकालीन कुंड
स्कंद पुराण के अवंति खंड में वर्णित नौ मातिृकाओं में से 7वीं देवी नगर कोट की माता हैं। हालांकि यह मंदिर उज्जैन शहर की उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। इस मंदिर में एक जलकुंड है, जो कि परमारकालीन माना जाता है। मंदिर में एक अन्य गुप्त कालीन मंदिर भी है, जो कि शिवपुत्र कार्तिकेय का है। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन में नवरात्रि में अन्य माता मंदिर के दर्शन नगरकोट की रानी माता के बगैर अधूरे माने जाते हैं। इस मंदिर मे प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगता है। नवरात्र में यहां सुबह से लेकर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
🛕 क्यों कहा जाता है नगरकोट माता
नगरकोट की रानी प्राचीन उज्जयिनी के दक्षिण-पश्चिम कोने की सुरक्षा देवी हैं। यह स्थान नगर के प्राचीन कच्चे परकोटे पर स्थित है। इसलिए इसे नगर कोट की रानी कहा जाता है।
🌺 अगर आप उज्जैन की यात्रा पर हैं, तो नगरकोट माता मंदिर के दर्शन अवश्य करें और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह धार्मिक स्थल आपके जीवन में नई ऊर्जा और आस्था का संचार करेगा।