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सिंहस्थ 2028 – आस्था, परंपरा और अध्यात्म का महासंगम

उज्जयिनी की पावन धरा पर एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा का महासंगम होने जा रहा है!
हर 12 वर्षों में आयोजित होने वाला सिंहस्थ न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति और अध्यात्म का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति, संत समागम और सनातन परंपराओं का भव्य आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु और संत-महात्मा क्षिप्रा के तट पर पुण्य स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं।

🔱 सिंहस्थ का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व

📖 शास्त्रों के अनुसार, सिंहस्थ का संबंध समुद्र मंथन से है। जब देवता और असुरों ने अमृत कलश के लिए संघर्ष किया, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत कलश को सुरक्षित कर लिया। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिरीं—हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन। इसी कारण इन चारों स्थानों पर कुंभ और सिंहस्थ महापर्व का आयोजन होता है।

🔸उज्जैन का विशेष महत्व – उज्जैन को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ स्वयं महाकाल विराजमान हैं। साथ ही, यह स्थान वृहस्पति ग्रह की सिंह राशि में स्थित होने पर सिंहस्थ के रूप में पुण्य अवसर प्रदान करता है।

🏞 उज्जैन: धर्म, संस्कृति और आस्था का केंद्र

उज्जैन केवल महाकाल की नगरी ही नहीं, बल्कि भारत के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ सिंहस्थ के दौरान:
✅ पुण्य स्नान
✅ संत-महात्माओं का प्रवचन
✅ शाही स्नान
✅ यज्ञ, पूजा और हवन
✅ दर्शन और सत्संग

✨ क्या आप तैयार हैं सिंहस्थ 2028 के लिए?

सिंहस्थ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का अवसर भी है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु केवल स्नान ही नहीं करते, बल्कि सद्गुरुओं से ज्ञान प्राप्त कर अपने जीवन को धर्म और भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकल्प भी लेते हैं।

🚩हर हर महादेव! जय उज्जैन! जय सिंहस्थ! 🚩

📢सिंहस्थ 2028 की पूरी जानकारी के लिए जुड़े रहें।

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