कालिदास और उज्जैन का ऐतिहासिक संबंध:
उज्जैन सिर्फ ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी ही नहीं, बल्कि यह संस्कृत साहित्य और महान कवि महाकवि कालिदास की कर्मभूमि भी रही है। कालिदास, जिन्हें संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ कवि और नाटककार माना जाता है, ने “मेघदूत,” “अभिज्ञानशाकुंतलम्,” “कुमारसंभव,” “रघुवंश,” जैसी अद्भुत रचनाएँ दीं, जो आज भी साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
कालिदास की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने और उनकी कृतियों को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से 1958 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा “कालिदास समारोह” की शुरुआत की गई। यह आयोजन हर साल नवंबर-दिसंबर में आयोजित किया जाता है और संस्कृत, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत विद्वानों और कलाकारों के लिए एक भव्य मंच प्रदान करता है।
🎭 कालिदास समारोह के मुख्य आकर्षण:
🔹संस्कृत नाट्य मंचन:
कालिदास की कालजयी रचनाओं पर आधारित नाटकों का मंचन देशभर के प्रतिष्ठित नाट्य समूहों द्वारा किया जाता है। यह नाटक हमें प्राचीन भारतीय नाट्य परंपरा और उसकी समृद्धि से परिचित कराते हैं।
🔹काव्य पाठ एवं साहित्यिक गोष्ठियाँ:
संस्कृत, हिंदी और अन्य भाषाओं के साहित्यकार एवं कवि इस मंच से अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करते हैं। यहाँ देशभर के साहित्यकार कालिदास की कृतियों की व्याख्या और उनकी समसामयिक प्रासंगिकता पर विचार रखते हैं।
🔹संगीत एवं नृत्य प्रस्तुतियाँ:
कालिदास की कृतियों पर आधारित शास्त्रीय संगीत और नृत्य प्रस्तुतियाँ इस समारोह की भव्यता को और बढ़ाती हैं। भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्य, साथ ही पारंपरिक गायन समारोह की शोभा बढ़ाते हैं।
🔹चित्रकला एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनियाँ:
इस आयोजन में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकार अपनी पेंटिंग, मूर्तिकला और अन्य कलाकृतियों का प्रदर्शन करते हैं, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाते हैं।
📍 आयोजन स्थल और तिथि:
📌 स्थान: कालिदास अकादमी, उज्जैन
📅 समय: हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में
📢 क्या आपने कभी कालिदास समारोह में भाग लिया है? अपने अनुभव हमें कमेंट में बताएं!