उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के ठीक ऊपर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर अपनी विशेषता और दुर्लभता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के नाग रूप और चंद्रमा के संगम का प्रतीक है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। 🌕🐍
✨ मंदिर की विशेषता:
नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में केवल एक बार, नागपंचमी के दिन ही दर्शन के लिए खोला जाता है। यह दिन हर साल लाखों भक्तों के लिए उत्साह और भक्ति से भरा होता है। लोग दूर-दूर से यहाँ भगवान शिव के इस अद्भुत रूप के दर्शन करने आते हैं। इस दिन मंदिर में एक विशेष पूजा-अर्चना होती है, जो भक्तों के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है।
🏛️ अद्भुत वास्तुकला:
नागचंद्रेश्वर मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। इसमें भगवान शिव को नागराज वासुकि और चंद्रमा के साथ एक विशेष मुद्रा में दर्शाया गया है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी हर किसी का ध्यान आकर्षित करती है। भगवान शिव का यह रूप उनके विनाशक और संहारक दोनों रूपों को दर्शाता है, जिसमें सर्प उनके गले में और चंद्रमा उनके मस्तक पर स्थित है। यह दृश्य हर श्रद्धालु के मन में गहरी आस्था उत्पन्न करता है।
🌟 इतिहास और मान्यता:
कहा जाता है कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी का है और इसे चंद्रवंशी राजाओं ने बनवाया था। मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
🙏 दर्शन का अद्भुत अनुभव:
नागपंचमी के दिन जब यह मंदिर खुलता है, तब यहाँ का माहौल भक्तिमय हो जाता है। मंदिर के गर्भगृह में दर्शन कर भक्त अपने जीवन को महाकाल और नागचंद्रेश्वर की कृपा से पावन मानते हैं।
उज्जैन की इस अनमोल धरोहर के दर्शन कर अपनी भक्ति को और गहरा करें और भगवान शिव के इस अद्भुत रूप का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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