उज्जैन, जिसे शिव की परमधाम नगरी कहा जाता है, केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के कारण ही नहीं, बल्कि चौरासी (84) महादेव यात्रा के लिए भी विश्वप्रसिद्ध है। यह यात्रा भगवान शिव के 84 पवित्र स्वरूपों की परिक्रमा करके मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
📖 चौरासी (84) महादेव यात्रा का पौराणिक महत्व
🕉 स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार, इस यात्रा का अत्यंत महत्व है। मान्यता है कि जो भी भक्त श्रद्धा से इन 84 शिवलिंगों के दर्शन और पूजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
📖 एक पौराणिक कथा के अनुसार – उज्जैन के राजा चंद्रसेन भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक बार उज्जैन में एक ग्वाला भगवान शिव की भक्ति में लीन था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे 84 महादेव यात्रा का महत्व समझाया और कहा कि इस यात्रा को करने से व्यक्ति को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
🔸 यह भी मान्यता है कि यह यात्रा मृत्यु के उपरांत सीधे शिवलोक में स्थान दिलाने वाली होती है।
🔸 उज्जैन को मोक्षदायिनी नगरी माना जाता है, और यहाँ भगवान शिव के 84 रूपों के दर्शन का विशेष फल प्राप्त होता है।
🔸 इस यात्रा में विभिन्न रूपों में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं।
🔹 शिवलिंगों का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व –
उज्जैन में स्थित 84 महादेव मंदिरों में प्रत्येक शिवलिंग का एक अलग नाम, कथा और महत्व है। ये शिवलिंग भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों के प्रतीक माने जाते हैं।
🔹 यात्रा की परिक्रमा और मार्ग –
✔️ इस यात्रा को करने के लिए श्रद्धालु उज्जैन के 110 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 84 शिव मंदिरों की यात्रा करते हैं।
✔️ भक्तगण विशेष रूप से श्रावण मास, शिवरात्रि और नाग पंचमी पर इस यात्रा को करने का संकल्प लेते हैं।
✔️ इसे पूरा करने में 11 से 15 दिन का समय लगता है, लेकिन संक्षिप्त रूप में इसे 4-5 दिन में भी पूरा किया जाता है।
💠 आइए, ८४ महादेव यात्रा करें और भगवान शिव की कृपा से जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरें। 💠
🔱 🚩 हर हर महादेव! 🚩 🔱