उज्जैन, जिसे प्राचीन कालगणना और खगोल विज्ञान का केंद्र माना जाता है, कई अद्भुत मंदिरों का घर है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण स्थल है कर्कराजेश्वर महादेव मंदिर, जो कर्क रेखा की सटीक स्थिति को दर्शाने वाला एक अनूठा मंदिर है।
🌍 कर्क रेखा और मंदिर का महत्व:
यह मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है और माना जाता है कि प्राचीन समय में कर्क रेखा यहीं से गुजरती थी। इस स्थान को चिह्नित करने के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई थी। कर्क रेखा पृथ्वी पर उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक महत्वपूर्ण अक्षांश रेखा है, जो सूर्य की गति और मौसम परिवर्तन को दर्शाती है। मंदिर के निकट कर्क रेखा स्मृति स्तंभ भी स्थापित है, जो यह दर्शाता है कि उज्जैन से कर्क रेखा गुजरती थी।
🌞 खगोल विज्ञान और जीवाजी वेधशाला:
उज्जैन में खगोल विज्ञान का एक विशेष स्थान है। यहाँ की प्रसिद्ध जीवाजी वेधशाला कर्कराजेश्वर मंदिर के पास स्थित है। यह वेधशाला 1719 में महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा स्थापित की गई थी। यहाँ विभिन्न यंत्रों के माध्यम से खगोल विज्ञान का अध्ययन किया जाता था, जो आज भी उपयोग में हैं।
इस वेधशाला से प्रकाशित पंचांग और अन्य खगोलीय जानकारियां आज भी वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
🕉️ धार्मिक महत्व और कर्कराजेश्वर महादेव:
कर्कराजेश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक महत्व भी अत्यंत विशिष्ट है। यहाँ भगवान शिव के कर्कराजेश्वर रूप की पूजा होती है। यह माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। नागर शैली में बने इस मंदिर की वास्तुकला भी दर्शनीय है, जो इसे एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित करती है।
📜 इतिहास और परंपरा:
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। कर्कराजेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं हैं, जो इसे एक रहस्यमयी और पवित्र स्थल बनाती हैं। यह स्थान उज्जैन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कर्कराजेश्वर महादेव मंदिर न केवल खगोल विज्ञान और धार्मिक आस्था का संगम है, बल्कि यह हमारे प्राचीन ज्ञान और परंपराओं की झलक भी पेश करता है।