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उज्जैन की शान: श्रीकृष्ण ‘सरल’

उज्जैन की साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करने वाले महान साहित्यकार श्रीकृष्ण ‘सरल’ को उनकी राष्ट्रभक्ति और क्रांतिगाथाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
श्रीकृष्ण ‘सरल’ न केवल उज्जैन के गौरव हैं, बल्कि भारतीय साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उनकी अमिट छवि बनी हुई है।

उज्जैन और सरल जी का जुड़ाव:
• श्रीकृष्ण ‘सरल’ ने उज्जैन के शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और यहीं रहते हुए अपनी साहित्य साधना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
• उनके साहित्यिक योगदान ने उज्जैन को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई।

क्रांति के कवि और शहीदों के चारण:
• सरल जी ने अपना जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों की गाथाओं को जन-जन तक पहुँचाने में समर्पित कर दिया।
• उनकी कालजयी रचना “क्रांति गंगा” भारतीय क्रांतिकारियों के बलिदान की अमर गाथा है, जिसे लिखने में 27 वर्षों का समय लगा।

उज्जैन की मिट्टी से प्रेरित:

उज्जैन की पवित्र और क्रांतिकारी भूमि ने सरल जी को उनके साहित्यिक और राष्ट्रीय विचारों को पल्लवित करने की प्रेरणा दी।
• यहाँ की आध्यात्मिकता ने उनकी लेखनी में अद्भुत शक्ति भरी।
• उनकी रचनाओं में उज्जैन की संस्कृति और गौरव का अद्भुत समावेश मिलता है।

सरल जी के प्रति हमारी श्रद्धांजलि:
आज हम श्रीकृष्ण ‘सरल’ जी को याद करते हुए उज्जैन की इस अनमोल धरोहर को नमन करते हैं। उनका जीवन हमें राष्ट्रभक्ति, साहित्य और सेवा का संदेश देता है।

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