उज्जैन सिर्फ महाकाल की नगरी ही नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और विरासत का एक अनमोल खजाना है। यहाँ की हर गली, हर सड़क के पीछे कोई न कोई कहानी छिपी है। ऐसी ही एक चर्चित गली है – ‘मगरमुहा की गली’। इस अनोखे नाम के पीछे की कहानी सदियों पुरानी है और यह उज्जैन के गौरवशाली, किंतु संघर्षपूर्ण अतीत की झलक देती है।
🐊 ‘मगरमुहा की गली’ नामकरण की कहानी
❖ इतिहासकारों और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस गली का नामकरण एक विशाल मगरमच्छ से जुड़ा हुआ है, जो कभी यहाँ के एक जलस्रोत (तालाब या नदी) में पाया गया था।
❖ प्राचीन समय में इस स्थान पर एक बड़ा कुंड या सरोवर था, जिसमें एक विशाल मगरमच्छ का निवास था।
❖ जब लोग इस क्षेत्र से गुजरते थे, तो मगरमच्छ अचानक पानी से निकलकर हमला कर देता था, जिससे लोग इसे एक भयावह स्थान मानने लगे।
❖ धीरे-धीरे यह जगह ‘मगरमुहा’ (मगरमच्छ का मुँह) के नाम से प्रसिद्ध हो गई और बाद में यह नाम स्थायी रूप से इस गली के साथ जुड़ गया।
🔱 ऐतिहासिक संदर्भ – इल्तुतमिश का आक्रमण और उज्जैन का संघर्ष
जब दिल्ली के सुल्तान शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण किया, तब इस आक्रमण के दौरान इल्तुतमिश की सेना ने उज्जैन के विभिन्न हिस्सों में तबाही मचाई। कहा जाता है कि इसी समय एक विशाल मगरमच्छ (मगर) ने शहर के एक हिस्से में आतंक फैलाया था। इस घटना के बाद, उस क्षेत्र की एक गली को ‘मगरमुहा की गली’ कहा जाने लगा। ‘मगरमुहा’ शब्द का अर्थ है ‘मगर का मुख’, जो उस घटना की याद दिलाता है।
🏛️ इस गली का आज का स्वरूप
❖ वर्तमान में मगरमुहा की गली उज्जैन का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहाँ कई ऐतिहासिक घर, प्राचीन मंदिर और व्यापारिक प्रतिष्ठान मौजूद हैं।
❖ इस गली से होकर गुजरते समय आपको पुरानी उज्जैन के स्थापत्य, संकरी गलियों और ऐतिहासिक धरोहरों का अनुभव होगा।
❖ उज्जैन के स्थानीय लोग इसे अपने गौरवशाली इतिहास और संघर्ष की पहचान मानते हैं।
🔔 उज्जैन आएँ तो इस ऐतिहासिक गली को देखने अवश्य जाएँ!
उज्जैन की हर गली सिर्फ रास्ता ही नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों का एक जीवंत हिस्सा है। ‘मगरमुहा की गली’ इसका सबसे अनूठा उदाहरण है। जब भी आप उज्जैन आएँ, तो इस गली से गुजरें और इसके ऐतिहासिक महत्व को महसूस करें।
🔹क्या आप इस गली से जुड़ी कोई और कहानी जानते हैं? कमेंट में हमें ज़रूर बताएं!