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सिंहस्थ महापर्व – उज्जैन का आध्यात्मिक संगम

सिंहस्थ महापर्व, उज्जैन का सबसे भव्य और दिव्य आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में क्षिप्रा नदी के तट पर आयोजित किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का एक अद्भुत संगम है, जहाँ लाखों श्रद्धालु और साधु-संत स्नान, साधना और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं

सिंहस्थ का महत्व

  • धार्मिक महत्व: यह आयोजन उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी में होने के कारण अत्यंत विशेष माना जाता है।
  • ज्योतिषीय आधार: सिंहस्थ का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • आध्यात्मिक संगम: यह पर्व संतों, नागा साधुओं, तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
  • सिंहस्थ स्नान की तिथियाँ

    इस महापर्व के दौरान विभिन्न शुभ मुहूर्तों में क्षिप्रा नदी में स्नान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है। प्रमुख स्नान तिथियाँ ज्योतिषीय गणना के अनुसार निर्धारित की जाती हैं और पुण्य फलदायी मानी जाती हैं।

    मुख्य आकर्षण

    • शाही स्नान: साधु-संतों और अखाड़ों का भव्य प्रवेश और स्नान।
    • अखाड़ों की पेशवाई: साधु-संतों का भव्य जुलूस, जिसमें वे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भाग लेते हैं।
    • धार्मिक प्रवचन एवं भजन-कीर्तन: विभिन्न आध्यात्मिक गुरु और संत अपने प्रवचनों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं।
    • संस्कृतिक झांकियाँ: इस आयोजन में भारतीय संस्कृति, योग और ध्यान को प्रदर्शित करने वाली झांकियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र होती हैं।
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